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An appeal to young Bankers I have been reading the sentiments of young bankers and the resentment they are showing. As a trade union worker, I feel sad to see that none amongst our top leaders is there to address the views of these young and talented bankers.
An appeal to young Bankers I have been reading the sentiments of young bankers and the resentment they are showing. As a trade union worker, I feel sad to see that none amongst our top leaders is there to address the views of these young and talented bankers.
It is really pity to find out that there is huge
difference in what bank employees are demanding and what their leaders are
pursuing. While Bank Employees are demanding parity in wages upheld 60 years
back by Shastri Award which still govern the service conditions of bank
employees except those provisions which have been modified through successive
Bipartite Settlements. On the other hand our leaders are negotiating and
pursuing percentage increase in wages which has started from 5% and has reached
up to 10% by now.
Unions are supposed to be voice of their members,
here it is opposite. It would cause concern and would worry any one like me who
wants to see trade union movement stronger as it used to be at one time. Let me
share my experience with the young bankers and draw their attention on the
realities so that it may help them in understanding the root of the problem
discussed above and only then they would be in a position to look for a
solution.
Whereas Banking Industry is passing through the
phase of transformation and change with management of the banks making full use
of the recent technology, Trade Unions have hardly made any attempt to change
themselves. They are still operating in same old style with retired and tired
leaders heading them using traditional outmoded weapons which have lost their
significance. Office bearers in the unions are not elected but they are
selected by the same retired and tired leader controlling the union.
Thus, knowledge and quality is not a condition for
becoming a leader. The only qualification one must possess is to be yes man of
the leader and an assurance that he would continue to be top leader till he is
dead. Neither there is democracy nor transparency nor accountability. Thousand
of staffs who have shown courage to oppose have been thrown out of the Union
forcing them to form new unions. This has resulted in formation of many unions,
development of inter and intra union rivalries and resultantly weaker unions.
All this has adversely affected the trade union movement of the banking
industry and has made one time strong unions weaker who are not able to stand
before the fully equipped management.
The solution does not lie in raising problems
which new young and talented recruits are facing. You can change present
situation by becoming part of the system, by participating in union activities,
by criticizing present leadership with in a union and by transforming the union
to match with changes. Remember and never ever forget that no one but you are
the Union.
Question your leaders at ground level; ask them to
oppose those who are vanishing the word 'Union' from Trade Union to run it as
trade. Try to consolidate unions by organizing workshop and seminars inviting
leaders from all unions and asking them to express their differences and prove
their necessity of running different unions. Ask them to join hands and let there
be election through secret ballot to decide leadership of the union. Oppose
those who are coming in way of unity and much desired changes in union and
throw them out from the post and not the union. Remember you can gain what you
are demanding only when you convert yourself in commanding force
A post by our a YIBA Member (Facebook timeline --Link given below)
Pankaj Satish Patil
Young Officer's Letter in the name of UFBU
मेरे प्रिय नेताओ,
बड़ा बुरा लगा कि IBA ने एक बार फिर आप
लोगो को डांट कर कमरे से निकाल दिया. कोई बात
नहीं, हम जानते हैं कि नेताओ का एक सबसे बड़ा गुण
बेशर्मी है, इसलिय बार बार IBA के कमरे में
बेइज्जत होने के लिए घुसिएगा और वोह 5%
का लोलीपोप दे कर बार बार आपकी और
indirectly हमारी इन्सल्ट करेगी. कैसे हिम्मत
होती है IBA की इस तरह की बात करने की. जैसे
ही IBA 5% की बात करती आप को कमरे से यह
कह कर बाहर आ जाना चाहिए था की हम तो 5 दिन
की strike की कॉल दे रहे है. हाथ पकड़ कर
आपका वापस बुलाते.
एक बात बताओ यार क्या किसी पंडित ने
तुमको बताया है की केवल Single Point
Agenda न रखो. अगर केवल एक बात और केवल
एक बात वेज रिविजन में रखी होती की भैया हमें
तो सिक्स्थ पे कमीशन के बराबर लेना है और जब
भी सरकार का अगला वेज रिविजन
हो तो हमको भी उसमे ले लेना तो क्या गलत बात
होती. बहत्तर इश्यूज वेज revision में घुसेड
दिया और वेज revision की माँ की आँख कर दी.
हाँ गलत यह होता की जो पांच साल तक आप लोग
बैंक एम्प्लाइज को बेवक़ूफ़ बनाते हो वह
नहीं बना पाते. आपकी इम्पोर्टेंस ख़तम हो जाती.
क्या आपको पता है की बीस लाख आंखे आपकी ओर
कितनी आशा भरी नजरो से देख रही हैं और आप और
IBA 5% की बात कर रहे हैं. शर्म है.
IBA जब कहती है की वोह 5% से ज्यादह नहीं दे
सकती क्योकि प्रॉफिट कम है तो कृपा कर के उसे
भारतीय रेल की स्थिति बता देते कि भैया उसमे
भी तो करोडो का लोस होता है तब काहे बढ़ी हुई पे
दे रहे हो. पर हमें पता है की आप यह
नहीं बोलोगो क्योकि एक तो आपकी उम्र हो गयी है
दूसरा आप च्यवनप्राश नहीं खाते हो. ड्राई फ्रूट
जब आता है तो काजू उठा लेते हो , बादाम फिर
भी नहीं खाते. दिमाग कहाँ से तेज होगा. और
negotiation के लिए तेज दिमाग और दृढ
इच्छाशक्ति की बहुत आवश्यकता है.
आपसे विनर्म अनुरोध है की नए बच्चों को आगे
लाये. पढ़े लिखे बच्चे हैं नए ख्यालात लायेंगे. आप
परदे के पीछे से गाइड करे और एक अनुभवी बुजुर्ग
का रोले निभाए. अब समय है की अपना स्वार्थ छोड़
कर बैंक एम्प्लाइज की दुर्दशा देखे.
हमारी आपको यह सलाह है की कल जब आप
दाढ़ी बनाये तो शीशे में अपना मुह देखे और मारे
शर्म के उसे नीचे कर ले क्योकि हमारी आज
की pathetic condition के लिए आप और
केवल आप ही जिम्मेदार हैं. आपके लिए
यही सजा काफी है. यह सोच सोच कर डरा करे
की कहीं बैंकिंग इंडस्ट्री में भी कोई केजरीवाल
खड़ा हो गया तो आपका और आपकी ऐश
का क्या होगा.
वैसे तो आप काफी बिजी रहते है पर अगर आपके
पास कभी कुछ समय हो तो कृपया विचार कर हमें
बताये कि:-
- हमारी पे सिक्स्थ पे कमीशन से कम क्यों है
- हम रोज़ पांच बजे के बाद क्यों काम कर
- हम सप्ताह में छह दिन क्यों काम करे.
- हमारी PL क्यों लैप्स हो जाती है. सेंट्रल की तरह
दस महीने क्यों नहीं है.
- अगर हमको साल में 30 Pl, 12 CL
इत्यादि मिलती है तो लेने क्यों नहीं दिया जाता
- सबसे बड़ी यूनियन SBI में है, तो अपने
बाकी मेम्बरान को वह सारे बेनिफिट क्यों नहीं देते है
जो SBI में है.
- एक शाखा पांच स्टाफ से कम में क्यों खुलने देते
हैं.
- अधिकारी क्लर्क का काम और क्लर्क
चपरासी का काम क्यों करे.
- हर जिले में रिज़र्व स्टाफ क्यों नहीं है
ताकि छुट्टी जाने पर भेजा जा सके.
- ट्रेनिंग आने पर कैंसिल क्यों कर दी जाती है.
- नए स्टाफ नौकरी क्यों त्याग रहे हैं. क्या कारण
है की बैंक में कोई भी नौकरी नहीं करना चाहता है.
- पिछले पांच सालो में कितने नेताओ
को chargesheet मिली
- हमारी पेंशन क्यों नहीं बढती है.
- IBA क्यों RTI में नहीं है. क्या आपने Delhi
High Court / सुप्रीम कोर्ट में इस सन्दर्भ में
मुकदमा किया.
आपने सुना होगा की वीर भोगे वसुंधरा. आप मानो न
मानो आप कायर हो. इसलिए आपमें हमारे लिए लड़ने
का बूता ही नहीं है. किसने आपको मना किया है
की न्यूज़ पेपर में फुल पेज का comparative
wage scale का ऐड न दे,
ताकि दुनिया को पता चले की क्या स्थिति है.
अभी हर आदमी को यह लगता है की बैंक में बहुत
अच्छी पे है.
किसने आपसे कहा है की आप
indefinit strike न करे. अगर indefinite
strike fail हो भी गयी तो भविष्य में कोई
नहीं कहेगा की indefinite strike
क्यों नहीं करते है. अपनी नियति से हम
समझौता कर लेंगे.
सेंट्रल के एक क्लर्क से कम पे एक PO की है. एक
सफाई कर्मचारी से कम पे एक नए क्लर्क की है.
आप कैसे यह दशा देख कर चैन से सो सकते हैं.
धिक्कार है आपको और आपकी इस
ओछी राजनीती को.
पुरुषार्थ करे हम आपके साथ है. आप लड़ सकते हैं.
बस हनुमान जी की तरह आपको अपना बल याद
दिलाने की जरूरत है.
याद रखे की इस बार बेवक़ूफ़
बनाया तो आपका मालिक भगवान भी नहीं होगा. मुह
दिखने लायक तो आप अभी भी नहीं बचे हैं.
आपकी इज्जत आपके खुद के हाथ में हैं और
आपका भविष्य हमारे हाथो में.
कभी खाली हो तो सोचियेगा की 7th pay
Commission के बाद बैंक अधिकारी एवं
कर्मचारी दूसरो के सामने भिखारी जैसे लगेे
https://www.facebook.com/YoungIndianBankersAssociationYiba/posts/224695037714672
Kaushik Ghosh (Facebook )
Friends can anyone tell me why should UFBU not demand abolition of IBA and bank employees to have their wages decided by pay commission ? We all know the story of good old middleman. Their sole job is to reduce all benefits they can to the bank employees and report them as their achievement to Govt. If that isn't possible then simply allow the management of each bank to decide the salary of their employees. That way the salary will be decided at market rate in tune with financial strength of each bank. IBA has created a double monopoly [Govt and IBA] and monopoly is never good for either business (banks) or customers (bankers in this case).
Charu Bhattacharya (Facebook)(link given below )
बैंक अधिकारी दुखी क्यों है:-
साथियों आप किसी भी बैंक में चले जाओ तो आपको समस्त अधिकारियो के चेहरों पर मुर्दनी दिखाई देती है. शायद मैं पूरी तरह से सही नहीं हूँ. दो चार शाखाओ में एक प्रफुल्लित चेहरा भी मिल जाता है. पर अगर आप पता लगायेंगे तो वह प्रफुल्लित चेहरा किसी न किसी अधिकारी संघटन का पदाधिकारी होगा.
अधिकारी होने के कुछ फायदे हो न हो पर अधिकारी संघ के किसी भी संघटन का नेता बन जाने पर बहुत फायदे हो सकते हैं.
जैसे की:-
१. आपको हमेशा शहर में पोस्टिंग मिलेगी, सारे प्रमोशन आपकी पसंद के शहर में मिलेगे. अगर आपकी RURAL POSTING हो गयी तो कामन मेंबर का कौन ख्याल रखेगा. आप शहर की पोस्टिंग अपने मन से थोड़ी ही लेंगे. वो तो मेंबर्ज़ के कारण ही आप को यह त्याग करना पड़ेगा भाई.
२. अगर आप ब्रांच के इंचार्ज बना दिए जाते हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है. आपके सेकेंड मैन पूरा काम करेगे, अगर अप बड़ी शाखा में हैं तो आपके चीफ मॅनेजर तो काम निपटने के लिए हैं ही. किसकी हिम्मत है जो आपसे काम के लिए कहेगा.
३. बैईमान अधिकारिओ के आप पूज्य रहेंगे. वो दिन रात चढ़ावा ले कर आप की पूजा अर्चना में लगे रहेंगे. हर्र लगे ना फिटकरी रंग भी चोखा आए. आख़िर बैईमान अधिकारी भी तो मेंबर हैं, और आप की आखो पर तो पहले ही पट्टी बाँध चुकी है.
४. आपकी न्यूसेन्स वॅल्यू होगी. बड़े अधिकारी इसी कारण आपकी हर हरकत नज़र अंदाज़ कर जायेंगे.
५. अगर आप एक यूनियन से हार जाए तो चिंता की कोई बात नहीं है.तुरंत अपनी दूसरी यूनियन खड़ी कर ले, या छोटी यूनियन का दामन पकड़ ले. यानी की नेतागिरी चलती रहनी चाहिए. आख़िर जनता की सेवा करनी है भाई.
६. यूनियन फंड का हिसाब किताब देने की कोई जरूरत नहीं है. हमेशा जनरल बॉडी मीटिंग में आपके गुर्गे PASS PASS PASS का नारा लगा के पूरा खर्चा पास करा लेंगे.
७. जब कभी आपके साथियो का विरोध बढ़ जाये तो आप तुरंत जनरल बॉडी मीटिंग बुला ले, लेकिन सेफ साइड लेते हुए उस मीटिंग में बॅंक के दो चार आति वरिष्ठ अधिकारिओ को इन्वाइट कर ले, क्योकि कामन मेंबर अपने संस्कारवाश अपने बड़े अधिकारिओ के सामने उपद्रव नही मचाएगा.
८. अपने विरोधियो को आप लदवाने में तनिक भी संकोच नही करे. जैसे ही मौका लगे उनका काम लगा दे. जिसने विरोध किया उसकी पोस्टिंग बाहर. आपके उसूल इस में बिल्कुल क्लियर होने चाहिए.
९. अगर आप थोडा बड़े लेवेल के नेता बन जाते हैं हैं तो आपके इर्द गिर्द मिस्टर इंडिया टाइप दो चार बॉडी बिल्डर ज़रूर नज़र आने लगेंगे.
१०. अपने विरोधियो के, बड़े अधिकारिओ के, काम में कमी के, lapses के, दो चार प्रूफ आपके पास हमेशा रहने चाहिए ताकि वो आपके खिलाफ कभी अपना मुह ना खोले.
११. रिटाइर होने के बाद, आप अपना कोई भी रीटिरएमेंट प्लान नही बनायेंगे क्योकि हमारी छाती तो मूँग दलने के लिए है ही.
१२. अपने घर में, दूकान में आप BANK या ATM हमेशा खुलवा सकते हैं ताकि रेग्युलर इनकम होती रहे.
१३. जब आप रिटाइर हो तो BANK BANK / BRANCH BRANCH घूम कर अपना FAREWELL करवा सकते हैं ताकि जाते जाते जितना चीर सके उतना तो चीर ही लिया जाए. आपके गुर्गे इसमे भरपूर सहयोग देंगे.
१४. सेंट्रल कमिटी मीटिंग में रिटायरमेंट भेंट के तौर पर पास करवा सकते हैं की नेताजी को रिटायरमेंट भेंट के तौर पर यूनियन की और से कार, घर इत्यादि गिफ्ट दिया जाए.
१५. यूनियन का हॉल, बिल्डिंग इत्यादि नहीं बना है तो तुरंत बनवा कर उसे शादी विवाह में दे सकते हैं. हैं. किराए का हिसाब देने का प्रश्न ही नही उठता है. आपसे कौन पूछ सकता हैं
१६. अपने नकारा भाई / भतीजे को अपना सेक्रेटरी बना सकते हैं या किसी उच्चाधिकारी जिसके किसी काले कारनामो की सूची आपके पास है उससे कह कर कही चपरासी के रूप में चिपकवा सकते हैं.
१७. रिटाइर होने के बाद आप कोई चला कर नेता बने रह सकते हैं बस सभी अन्य नेताओ को साधना होगा और उनको बताना होगा की आप भी कभी रिटायर होगे
१८. यदि आप उच्च टाइप के नेता हो गए तो हेवी ऑनरेरियम, कार अलोवेन्स, ऑफीस अलोवेन्स इत्यादि ले सकते हैं. महीने में जायज़ तरीके से लाख रु. तो आप चीर ही सकते है.
१९. कभी ज़ोनल लेवेल की मीटिंग इत्यादि हो तो वो यूनिट आपका खर्चा देगी पर आप जाते जाते होटेल बिल की कॉपी लेना नही भूले क्योकि आपको अपना TA BILL तो डालना है भाई.
२०. जब आपको पर्सनल काम से कही जाना हो तो तुरंत उस शहर में एक मीटिंग रख सकते हैं. काम का काम और गुठलियो के दाम.
मेरे दिमाग में इतना ही आ रहा है. आप यदि कुछ ऐड करना चाहे तो स्वागत है.
चारू भट्टाचार्य
मुख्य प्रबंधक
पंजाब नॅशनल बैंक
https://www.facebook.com/groups/BANKSWAGEREVISION/permalink/479537782151369/
साथियों आप किसी भी बैंक में चले जाओ तो आपको समस्त अधिकारियो के चेहरों पर मुर्दनी दिखाई देती है. शायद मैं पूरी तरह से सही नहीं हूँ. दो चार शाखाओ में एक प्रफुल्लित चेहरा भी मिल जाता है. पर अगर आप पता लगायेंगे तो वह प्रफुल्लित चेहरा किसी न किसी अधिकारी संघटन का पदाधिकारी होगा.
अधिकारी होने के कुछ फायदे हो न हो पर अधिकारी संघ के किसी भी संघटन का नेता बन जाने पर बहुत फायदे हो सकते हैं.
जैसे की:-
१. आपको हमेशा शहर में पोस्टिंग मिलेगी, सारे प्रमोशन आपकी पसंद के शहर में मिलेगे. अगर आपकी RURAL POSTING हो गयी तो कामन मेंबर का कौन ख्याल रखेगा. आप शहर की पोस्टिंग अपने मन से थोड़ी ही लेंगे. वो तो मेंबर्ज़ के कारण ही आप को यह त्याग करना पड़ेगा भाई.
२. अगर आप ब्रांच के इंचार्ज बना दिए जाते हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है. आपके सेकेंड मैन पूरा काम करेगे, अगर अप बड़ी शाखा में हैं तो आपके चीफ मॅनेजर तो काम निपटने के लिए हैं ही. किसकी हिम्मत है जो आपसे काम के लिए कहेगा.
३. बैईमान अधिकारिओ के आप पूज्य रहेंगे. वो दिन रात चढ़ावा ले कर आप की पूजा अर्चना में लगे रहेंगे. हर्र लगे ना फिटकरी रंग भी चोखा आए. आख़िर बैईमान अधिकारी भी तो मेंबर हैं, और आप की आखो पर तो पहले ही पट्टी बाँध चुकी है.
४. आपकी न्यूसेन्स वॅल्यू होगी. बड़े अधिकारी इसी कारण आपकी हर हरकत नज़र अंदाज़ कर जायेंगे.
५. अगर आप एक यूनियन से हार जाए तो चिंता की कोई बात नहीं है.तुरंत अपनी दूसरी यूनियन खड़ी कर ले, या छोटी यूनियन का दामन पकड़ ले. यानी की नेतागिरी चलती रहनी चाहिए. आख़िर जनता की सेवा करनी है भाई.
६. यूनियन फंड का हिसाब किताब देने की कोई जरूरत नहीं है. हमेशा जनरल बॉडी मीटिंग में आपके गुर्गे PASS PASS PASS का नारा लगा के पूरा खर्चा पास करा लेंगे.
७. जब कभी आपके साथियो का विरोध बढ़ जाये तो आप तुरंत जनरल बॉडी मीटिंग बुला ले, लेकिन सेफ साइड लेते हुए उस मीटिंग में बॅंक के दो चार आति वरिष्ठ अधिकारिओ को इन्वाइट कर ले, क्योकि कामन मेंबर अपने संस्कारवाश अपने बड़े अधिकारिओ के सामने उपद्रव नही मचाएगा.
८. अपने विरोधियो को आप लदवाने में तनिक भी संकोच नही करे. जैसे ही मौका लगे उनका काम लगा दे. जिसने विरोध किया उसकी पोस्टिंग बाहर. आपके उसूल इस में बिल्कुल क्लियर होने चाहिए.
९. अगर आप थोडा बड़े लेवेल के नेता बन जाते हैं हैं तो आपके इर्द गिर्द मिस्टर इंडिया टाइप दो चार बॉडी बिल्डर ज़रूर नज़र आने लगेंगे.
१०. अपने विरोधियो के, बड़े अधिकारिओ के, काम में कमी के, lapses के, दो चार प्रूफ आपके पास हमेशा रहने चाहिए ताकि वो आपके खिलाफ कभी अपना मुह ना खोले.
११. रिटाइर होने के बाद, आप अपना कोई भी रीटिरएमेंट प्लान नही बनायेंगे क्योकि हमारी छाती तो मूँग दलने के लिए है ही.
१२. अपने घर में, दूकान में आप BANK या ATM हमेशा खुलवा सकते हैं ताकि रेग्युलर इनकम होती रहे.
१३. जब आप रिटाइर हो तो BANK BANK / BRANCH BRANCH घूम कर अपना FAREWELL करवा सकते हैं ताकि जाते जाते जितना चीर सके उतना तो चीर ही लिया जाए. आपके गुर्गे इसमे भरपूर सहयोग देंगे.
१४. सेंट्रल कमिटी मीटिंग में रिटायरमेंट भेंट के तौर पर पास करवा सकते हैं की नेताजी को रिटायरमेंट भेंट के तौर पर यूनियन की और से कार, घर इत्यादि गिफ्ट दिया जाए.
१५. यूनियन का हॉल, बिल्डिंग इत्यादि नहीं बना है तो तुरंत बनवा कर उसे शादी विवाह में दे सकते हैं. हैं. किराए का हिसाब देने का प्रश्न ही नही उठता है. आपसे कौन पूछ सकता हैं
१६. अपने नकारा भाई / भतीजे को अपना सेक्रेटरी बना सकते हैं या किसी उच्चाधिकारी जिसके किसी काले कारनामो की सूची आपके पास है उससे कह कर कही चपरासी के रूप में चिपकवा सकते हैं.
१७. रिटाइर होने के बाद आप कोई चला कर नेता बने रह सकते हैं बस सभी अन्य नेताओ को साधना होगा और उनको बताना होगा की आप भी कभी रिटायर होगे
१८. यदि आप उच्च टाइप के नेता हो गए तो हेवी ऑनरेरियम, कार अलोवेन्स, ऑफीस अलोवेन्स इत्यादि ले सकते हैं. महीने में जायज़ तरीके से लाख रु. तो आप चीर ही सकते है.
१९. कभी ज़ोनल लेवेल की मीटिंग इत्यादि हो तो वो यूनिट आपका खर्चा देगी पर आप जाते जाते होटेल बिल की कॉपी लेना नही भूले क्योकि आपको अपना TA BILL तो डालना है भाई.
२०. जब आपको पर्सनल काम से कही जाना हो तो तुरंत उस शहर में एक मीटिंग रख सकते हैं. काम का काम और गुठलियो के दाम.
मेरे दिमाग में इतना ही आ रहा है. आप यदि कुछ ऐड करना चाहे तो स्वागत है.
चारू भट्टाचार्य
मुख्य प्रबंधक
पंजाब नॅशनल बैंक
https://www.facebook.com/groups/BANKSWAGEREVISION/permalink/479537782151369/
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