Saturday, August 31, 2013

See How LIC Staff Claimed Leave Travel Concession Reimbursement

Nav Bharat Times

नई दिल्ली।। अगर किसी को दिल्ली से जयपुर जाना है, तो क्या वह ब्राजील से होते हुए वहां जाएगा? क्या कोई दुबई से होते हुए पोर्ट ब्लेयर से मुंबई आने के बारे में सोच सकता है? भले ही आपको ये बातें बेवकूफाना लगें, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के ऑफिसर लीव ट्रैवल कन्सेशन यानी LTC पाने के लिए इसी तरह के क्लेम कर रहे हैं।

जिस शख्स को दिल्ली से जयपुर के बीच आने-जाने के लिए 520 किलोमीटर की यात्रा तय करनी थी, उसने 28,884 किलोमीटर ट्रैवल करके यह यात्रा पूरी की। वह दिल्ली से रवाना हुआ और ब्राजील के साओ पाउलो होते हुए जयपुर पहुंचा। यही नहीं, आते वक्त भी उसने ऐसा ही किया। वह जयपुर से मुंबई गया, फिर वहां से ब्राजील के साओ पाउलो पहुंचा और वहां से दिल्ली आ गया।

दिल्ली और जयपुर के बीच की सफर वैसे तो 45 मिनट का है, लेकिन अगर उसने यह यात्रा वाया ब्राजील की होती, तो इसमें 48 से 72 घंटों का वक्त लगता। जाहिर है, कोई भी शख्स ऐसी बेवकूफी नहीं करेगा। दरअसल LTC पाने के लिए उस शख्स ने फर्जी क्लेम भरा था। इससे पता चलता है कि सरकारी और पीएसयू कर्मचारी LTC के नाम पर किस तरह से सरकार को चूना लगा रहे हैं।

शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में 100 के करीब कर्मचारी फर्जी LTC क्लेम को लेकर जांच का सामना कर रहे हैं। इनमें से एक ऑफिसर ने क्लेम किया था कि उन्होंने पोर्ट ब्लेयर से मुंबई का रास्ता दुबई होकर तय किया। सूत्रों के मुताबिक इस ऑफिसर ने साल 2009 में 1 लाख 31 हजार 653 रुपये का क्लेम भरा था। यह इस तरह का अकेला मामला नहीं है, कई कर्मचारियों ने इसी तरह के फर्जी क्लेम भरे हैं।

सीवीसी ने LTC स्कैम की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश दिए हैं। राज्य सभा सचिवालय, ऑर्डनंस फैक्टरी बोर्ड और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के करीब 150 कर्मचारियों को इस मामले में जांच का सामना करना पड़ रहा है। SCI के ज्यादातर सीनियर कर्मचारियों ने मुंबई के दो प्राइवेट ट्रैवल एजेंट्स द्वारा दिए गए फर्जी टिकटों के आधार पर ये क्लेम भरे थे।

गुरुवार को हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने LTC स्कैम का खुलासा किया। उसके बाद से अब तक इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।

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